वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि उनका कर्तृत्व वक्तृत्व और नेतृत्व शंकरी परंपरा के अनुकूल था और उनके कार्यकाल में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी साधु समाज में मुखर रहा है। इस अवसर पर श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा के आचार्य महंत श्री ज्ञानदेव सिंह जी ने कहा कि उनके कार्यों में योग माया का संयोग आशीर्वाद और आलोक अनुभव होता था मैं विशेष समय निकाल कर के उनके सानिध्य का आनंद लेता था वास्तव में वे राजराजेश्वरी के पुत्र थे भगवती की उपासना का उन्होंने एक नया मार्ग प्रशस्त किया । इस अवसर पर महामंडलेश्वर गिरधर गिरी जी महाराज ने कहा कि हमारे हमारे आचार्य श्री हमें शांकरी परंपरा का एक नया आलोक प्रदान कर गए हैं उनका चलना बोलना व्यवहार करना और अपने अनुयायियों के साथ प्रेम रखना हम सबके लिए एक उदाहरण है इस अवसर पर उदासीन अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद जी महाराज ने कहा कि मैंने अपने जीवन में उनके आध्यात्मिक आलोक को अनुभव किया था उनकी वाणी में उनका अनुभव बोलता था उनकी वाणी में भाष्यकार शंकराचार्य जी का भाष्य बोलता था और उनकी वाणी में सरस्वती समन्वित हो करके वाणी का श्रृंगार करती थी स्वामी जी महाराज हमारे बीच नहीं रहे परंतु उन्होंने मानव कल्याण और विश्व कल्याण के अनेक प्रकल्प हमारे कल्याण के लिए छोड़ गए हैं अब सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि उनके उद्देश्यों को कार्यान्वित करते हुए संस्कारित और शृंगारित किया जाए मैं उनकी पावन स्मृति में श्रद्धांजलि समर्पित करता हूं । श्रद्धेय महामंडलेश्वर स्वामी विशेश्वरानंद जी महाराज रोहतक वालों ने कहा कि मैं जो कुछ भी आज हूं गोविंद मठ से लेकर के उनकी कृपा से हूं अध्ययन काल से लेकर मध्य साधना काल में और अंत में उनकी कृपा से वर्तमान आचार्य जी की कृपा प्राप्त कराने में महाराज श्री का संकल्प ही मेरा सहयोगी रहा है। विलक्षण महापुरुष ने लोगों को अध्यात्म से अपनी और आकर्षित करते हुए सेवा शिक्षा संस्कार साधना और सुरक्षा के संस्कार देते हुए उन्होंने सबको अपने जैसे बनाने का मानस रखा था आज श्रेय और प्रेय के रूप में प्रसाद प्रदान करने वाले आचार्य श्री के पावन चरणों में मेरी श्रद्धांजलि भावांजलि। इस अवसर पर सर्दी महामंडलेश्वर स्वामी जय देव आनंद जी महाराज ने योगीराज जी ने कहा कि कुंभ मेला में सभाओं में और अन्य कार्यों में हम अपने महामंडलेश्वर आचार्य श्री से गौरवान्वित होते थे और उनके प्रवचनों से लाभान्वित होते हुए प्रेरणा प्राप्त करते थे मेरी भी उनके पावन चरणों में श्रद्धांजलि भावांजलि समर्पित हैं। इस अवसर पर स्वामी देवानंद ने कहा कि बरसों से जुड़े रहने के कारण मैंने महाराज श्री का स्वभाव अनुभव किया कि महाराज श्री फौंडेशन के साथ किसी भी व्यक्ति के कल्याण की बात सोचते थे और एक गुरु और पिता के समान संसार से ऊपर उठने का सहयोग करते थे उनकी उदारता उनकी साधुता और उनका पुरुषार्थ सदैव मनुष्य के लिए प्रेरणा का उदाहरण होता था हमने भी उनसे कर्तृत्व वक्तृत्व और नेतृत्व का संस्कार प्राप्त करते हुए अनुकरण किया था आज इस निर्वाण महोत्सव पर हम उनकी विभूतियों का स्मरण करते हुए श्रद्धांजलि भावांजलि अर्पित करते हैं पठानकोट से पधारे हुए महंत श्री शिवात्म चैतन्य जी महाराज ने कहा कि गुरुदेव की निजी उपासना और साधना का मैंने शिष्य होकर अनुभव किया उनमें एक गुरु के सच्चे लक्षण प्राप्त होते थे अपनी उदारता से उन्होंने आज हमें भी कुछ बोलने लायक कुछ करने लायक और कुछ समझने लायक बनाया उनका ऋण हम चुका नहीं सकते पर उनकी चरण चिन्हों पर चलने का अनुकरण करने का प्रयास करते हैं उनकी कृपा ही हमें अध्यात्म में समाज सेवा में और समाज सुधार में सफल करेगी इन्हीं शब्दों के साथ महाराज के पावन अस्तित्व में श्रद्धांजलि और भावांजलि इस अवसर पर कोलकाता से पधारे हुए श्रीमान लक्ष्मीकांत तिवारी जी ने महाराज की समाधि पर सभी के साथ पूजन अर्चन और आरती की संतों का दर्शन पूजन आदि के द्वारा सम्मान किया दिल्ली से पधारे हुए श्रीमान नरेश चड्ढा जी और श्रीमान रघुवीर शर्मा जी ने भाव पूर्वक संतों का सम्मान किया इस अवसर पर कोलकाता से पधारे हुए दीपक मिश्रा जी मुकेश शर्मा जी और अशोक तिवारी जी आदि ने महाराज की प्रतिमा का पूजन किया संतों का सम्मान किया सभी भक्तों ने भाव से महाराज श्री को याद किया संत सम्मेलन के बाद संतों का आरती पूजा भेंट आदि के द्वारा इसमें पूजन किया।। अंत में सभी का आभार प्रकट करते हुए आचार्य श्री ने पधारे हुए महामंडलेश्वरों का महंत पंच परमेश्वर और भक्तों का इस सभा की शोभा को बढ़ाने के लिए और सहयोग के लिए धन्यवाद प्रदान किया।।
शनिवार, 14 मई 2022
ब्रह्मलीन स्वामी विश्वदेवानंद जी का दशम निर्वाणमहोत्सव
वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि उनका कर्तृत्व वक्तृत्व और नेतृत्व शंकरी परंपरा के अनुकूल था और उनके कार्यकाल में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी साधु समाज में मुखर रहा है। इस अवसर पर श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा के आचार्य महंत श्री ज्ञानदेव सिंह जी ने कहा कि उनके कार्यों में योग माया का संयोग आशीर्वाद और आलोक अनुभव होता था मैं विशेष समय निकाल कर के उनके सानिध्य का आनंद लेता था वास्तव में वे राजराजेश्वरी के पुत्र थे भगवती की उपासना का उन्होंने एक नया मार्ग प्रशस्त किया । इस अवसर पर महामंडलेश्वर गिरधर गिरी जी महाराज ने कहा कि हमारे हमारे आचार्य श्री हमें शांकरी परंपरा का एक नया आलोक प्रदान कर गए हैं उनका चलना बोलना व्यवहार करना और अपने अनुयायियों के साथ प्रेम रखना हम सबके लिए एक उदाहरण है इस अवसर पर उदासीन अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद जी महाराज ने कहा कि मैंने अपने जीवन में उनके आध्यात्मिक आलोक को अनुभव किया था उनकी वाणी में उनका अनुभव बोलता था उनकी वाणी में भाष्यकार शंकराचार्य जी का भाष्य बोलता था और उनकी वाणी में सरस्वती समन्वित हो करके वाणी का श्रृंगार करती थी स्वामी जी महाराज हमारे बीच नहीं रहे परंतु उन्होंने मानव कल्याण और विश्व कल्याण के अनेक प्रकल्प हमारे कल्याण के लिए छोड़ गए हैं अब सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि उनके उद्देश्यों को कार्यान्वित करते हुए संस्कारित और शृंगारित किया जाए मैं उनकी पावन स्मृति में श्रद्धांजलि समर्पित करता हूं । श्रद्धेय महामंडलेश्वर स्वामी विशेश्वरानंद जी महाराज रोहतक वालों ने कहा कि मैं जो कुछ भी आज हूं गोविंद मठ से लेकर के उनकी कृपा से हूं अध्ययन काल से लेकर मध्य साधना काल में और अंत में उनकी कृपा से वर्तमान आचार्य जी की कृपा प्राप्त कराने में महाराज श्री का संकल्प ही मेरा सहयोगी रहा है। विलक्षण महापुरुष ने लोगों को अध्यात्म से अपनी और आकर्षित करते हुए सेवा शिक्षा संस्कार साधना और सुरक्षा के संस्कार देते हुए उन्होंने सबको अपने जैसे बनाने का मानस रखा था आज श्रेय और प्रेय के रूप में प्रसाद प्रदान करने वाले आचार्य श्री के पावन चरणों में मेरी श्रद्धांजलि भावांजलि। इस अवसर पर सर्दी महामंडलेश्वर स्वामी जय देव आनंद जी महाराज ने योगीराज जी ने कहा कि कुंभ मेला में सभाओं में और अन्य कार्यों में हम अपने महामंडलेश्वर आचार्य श्री से गौरवान्वित होते थे और उनके प्रवचनों से लाभान्वित होते हुए प्रेरणा प्राप्त करते थे मेरी भी उनके पावन चरणों में श्रद्धांजलि भावांजलि समर्पित हैं। इस अवसर पर स्वामी देवानंद ने कहा कि बरसों से जुड़े रहने के कारण मैंने महाराज श्री का स्वभाव अनुभव किया कि महाराज श्री फौंडेशन के साथ किसी भी व्यक्ति के कल्याण की बात सोचते थे और एक गुरु और पिता के समान संसार से ऊपर उठने का सहयोग करते थे उनकी उदारता उनकी साधुता और उनका पुरुषार्थ सदैव मनुष्य के लिए प्रेरणा का उदाहरण होता था हमने भी उनसे कर्तृत्व वक्तृत्व और नेतृत्व का संस्कार प्राप्त करते हुए अनुकरण किया था आज इस निर्वाण महोत्सव पर हम उनकी विभूतियों का स्मरण करते हुए श्रद्धांजलि भावांजलि अर्पित करते हैं पठानकोट से पधारे हुए महंत श्री शिवात्म चैतन्य जी महाराज ने कहा कि गुरुदेव की निजी उपासना और साधना का मैंने शिष्य होकर अनुभव किया उनमें एक गुरु के सच्चे लक्षण प्राप्त होते थे अपनी उदारता से उन्होंने आज हमें भी कुछ बोलने लायक कुछ करने लायक और कुछ समझने लायक बनाया उनका ऋण हम चुका नहीं सकते पर उनकी चरण चिन्हों पर चलने का अनुकरण करने का प्रयास करते हैं उनकी कृपा ही हमें अध्यात्म में समाज सेवा में और समाज सुधार में सफल करेगी इन्हीं शब्दों के साथ महाराज के पावन अस्तित्व में श्रद्धांजलि और भावांजलि इस अवसर पर कोलकाता से पधारे हुए श्रीमान लक्ष्मीकांत तिवारी जी ने महाराज की समाधि पर सभी के साथ पूजन अर्चन और आरती की संतों का दर्शन पूजन आदि के द्वारा सम्मान किया दिल्ली से पधारे हुए श्रीमान नरेश चड्ढा जी और श्रीमान रघुवीर शर्मा जी ने भाव पूर्वक संतों का सम्मान किया इस अवसर पर कोलकाता से पधारे हुए दीपक मिश्रा जी मुकेश शर्मा जी और अशोक तिवारी जी आदि ने महाराज की प्रतिमा का पूजन किया संतों का सम्मान किया सभी भक्तों ने भाव से महाराज श्री को याद किया संत सम्मेलन के बाद संतों का आरती पूजा भेंट आदि के द्वारा इसमें पूजन किया।। अंत में सभी का आभार प्रकट करते हुए आचार्य श्री ने पधारे हुए महामंडलेश्वरों का महंत पंच परमेश्वर और भक्तों का इस सभा की शोभा को बढ़ाने के लिए और सहयोग के लिए धन्यवाद प्रदान किया।।
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