१. मणि मुद्रा:अपने हाथों को अपनी छाती के सामने बाएं ओर मोड़ें। अपने अंगूठे को अपनी छाती की ओर ले जाएं और उसे अपनी छाती से मिलाएं। अन्य उंगलियों को आराम से सीधा रखें।
२. शंख मुद्रा:अपने दोनों हाथों की अंगूठे को अपने दोनों कानों के पास ले जाएं। अपने दोनों बाएं हाथ के अंगूठे को अपने बाएं कान के पास रखें और दाएं हाथ के अंगूठे को अपने दाएं कान के पास रखें। उंगलियों को आराम से सीधा रखें।
३. शून्य मुद्रा:अपने दोनों हाथों की अंगूठे को अपनी छाती के सामने ले जाएं। अपने अंगूठे को अपनी छाती से मिलाएं और उसे थोड़ा सा नीचे की ओर दबाएं। अन्य उंगलियों को आराम से सीधा रखें।
४. आदि मुद्रा:अपने बाएं हाथ की अँगूठी को अपने बाएं नासिकारे के पास रखें। दाएं हाथ की अँगूठी को अपने दाएं नासिकारे के पास रखें। उंगलियों को आराम से सीधा रखें।
५. पूष्पक मुद्रा:अपने हाथों की अंगूठी को आपस में जोड़ें। अपने दोनों हाथों की अंगूठियों को अपनी छाती के सामने रखें और अपने हृदय की ओर दबाएं। उंगलियों को आराम से सीधा रखें।
६. पुष्टि मुद्रा:अपने बाएं हाथ की अंगूठी को अपने दाएं हाथ की अंगूठी के समक्ष रखें। दोनों हाथों की अंगूठियों को आपस में स्पर्श करें। उंगलियों को आराम से सीधा रखें।
७. तारा मुद्रा:अपने दोनों हाथों की अंगूठी को आपस में जोड़ें। अपने दोनों हाथों की उंगलियों को सीधा रखें और उभरे हुए अंगूठों को आपस में स्पर्श करें।
८. त्रिपुर मुद्रा:अपने दोनों हाथों की अंगूठी को अपनी छाती के सामने ले जाएं। अपने दोनों हाथों की अंगूठियों को आपस में स्पर्श करें। उंगलियों को आराम से सीधा रखें।
९. त्रिशूल मुद्रा:अपने दोनों हाथों की अंगूठी को अपनी छाती के सामने ले जाएं। अपने बाएं हाथ की अंगूठी को अपने बाएं कान के पास रखें, दाएं हाथ की अंगूठी को अपने दाएं कान के पास रखें और मध्यम अंगूठा अपने नासिकारे के पास रखें। अन्य उंगलियों को आराम से सीधा रखें।
१०. दामर मुद्रा:अपने दोनों हाथों की अंगूठी को आपस में जोड़ें। अपने दोनों हाथों की अंगूठियों को आपस में स्पर्श करें। उंगलियों को आराम से सीधा रखें।
११. द्रुम मुद्रा:अपने दोनों हाथों की अंगूठी को अपनी छाती के सामने ले जाएं। अपने बाएं हाथ की अंगूठी को अपने बाएं कान के पास रखें, दाएं हाथ की अंगूठी को अपने दाएं कान के पास रखें और मध्यम अंगूठा अपने नासिकारे के पास रखें। अन्य उंगलियों को आराम से सीधा रखें।
१२. धनुर्मुद्रा:अपने दोनों हाथों की अंगूठी को आपस में जोड़ें। अपने हाथों को सीधा बनाएं और उभरे हुए अंगूठों को आपस में स्पर्श करें।
१३. नटराज मुद्रा:अपने दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और उभरे हुए अंगूठों को आपस में स्पर्श करें। बाएं हाथ को शीशा बनाएं और दाएं हाथ को झुलाएं। उंगलियों को आराम से सीधा रखें।
१४. नागमुद्रा:अपने दोनों हाथों की अंगूठी को अपनी छाती के सामने ले जाएं। अपने दोनों हाथों की अंगूठियों को अपनी छाती के नीचे रखें। उंगलियों को आराम से सीधा रखें।
१५. पद्म मुद्रा:अपने दोनों हाथों की अंगूठी को अपने नासिकारे के सामने ले जाएं। अपने दोनों हाथों की अंगूठियों को अपनी नासिका के नीचे रखें। उंगलियों को आराम से सीधा रखें।
१६. पद्मासन मुद्रा:अपने बाएं हाथ की अंगूठी को अपने बाएं कान के पास रखें, दाएं हाथ की अंगूठी को अपने दाएं कान के पास रखें और मध्यम अंगूठा अपने नासिकारे के पास रखें। अन्य उंगलियों को आराम से सीधा रखें।
१७. पद्मभंज मुद्रा:अपने दोनों हाथों की अंगूठी को अपनी छाती के सामने ले जाएं। अपने दोनों हाथों की अंगूठियों को आपस में स्पर्श करें। उंगलियों को आराम से सीधा रखें।
१८. परमहंस मुद्रा:अपने बाएं हाथ की अंगूठी को अपने बाएं कान के पास रखें, दाएं हाथ की अंगूठी को अपने दाएं कान के पास रखें और मध्यम अंगूठा अपने नासिकारे के पास रखें। अन्य उंगलियों को आराम से सीधा रखें।
१९. पशुराज मुद्रा:अपने बाएं हाथ की अंगूठी को अपने बाएं कान के पास रखें, दाएं हाथ की अंगूठी को अपने दाएं कान के पास रखें और मध्यम अंगूठा अपने नासिकारे के पास रखें। अन्य उंगलियों को आराम से सीधा रखें।
२०. परिधान मुद्रा:अपने दोनों हाथों की अंगूठी को आपस में जोड़ें। अपने हाथों को सीधा बनाएं और उंगलियों को आराम से सीधा रखें।
२१. पद्मोद्यन मुद्रा:अपने बाएं हाथ की अंगूठी को अपने बाएं कान के पास रखें, दाएं हाथ की अंगूठी को अपने दाएं कान के पास रखें और मध्यम अंगूठा अपने नासिकारे के पास रखें। अन्य उंगलियों को आराम से सीधा रखें।